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कुछ मित्रों ने अभी से नव वर्ष की अग्रिम शुभकामना की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी है।
इस परिप्रेक्ष्य मे, मैं आप सब के समक्ष “राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह दिनकर ” जी की कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ (आप स्वयं तय करे, कि बधाई अभी भेजना है या गुडीपाडवा पर)
👇ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं,
है अपना ये त्यौहार नहीं!
है अपनी ये तो रीत नहीं,
है अपना ये व्यवहार नहीं।